Postpartum Exercise in Hindi: डिलीवरी के बाद जब महिलाओं का शरीर रिकवर करने लगता है और जीवन में आई नई जिम्मेदारियों को एडजस्ट करने की कोशिश कर रहा होता, तब अक्सर महिलाओं के मन में ये सवाल आता है कि कसरत कब और कहां से शुरू की जाए। अगर आप भी यही सोच रही हैं, तो आप अकेली नहीं है, बल्कि ज्यादातर महिलाएं इस दौर से गुजरती ही हैं। अब इस सवाल का जवाब आपको सुकून दे सकता है क्योंकि अच्छी खबर यह है कि आप हल्की-फुल्की पोस्टपार्टम कसरत की शुरुआत बहुत ही जल्द कर सकती हैं। बस इस बात का ध्यान रखना होता है कि ये कसरत सुरक्षित, सोच-समझकर और रिकवरी पर फोकस करने वाली हो। ऐसी कसरत न हो, जो सिर्फ रिजल्ट पर ही फोकस करे।
ओनली माय हेल्थ (OnlyMyHealth) और हर जिंदगी (HerZindagi) ने मिलकर Maa Strong कैंपेन शुरू किया है। इस कैंपेन के तहत मैं नई मांओं के लिए कुछ आसान और असरदार एक्सरसाइज बताने जा रही हूं, जिसे हर उस नई मां को जरूर करनी चाहिए, जो डिलीवरी के बाद वापस फिट होना चाहती है।
1. डॉक्टर की सलाह जरूर लें, लेकिन हल्की एक्सरसाइज कर सकती हैं
आमतौर पर डॉक्टर नई मांओं को डिलीवरी के 6 हफ्ते बाद कसरत करने की परमिशन दे देते हैं। कहते हैं न कि हर मां का सफर अलग होता है, तो जिन महिलाओं की नार्मल डिलीवरी हुई है और वह खुद को बेहतर महसूस कर रही हैं, वे कुछ हल्की-फुल्की एक्सरसाइज जैसे कि वॉकिंग या ब्रीदिंग एक्सरसाइज जल्द ही शुरू कर सकती हैं।
अगर किसी महिला की सर्जरी या डिलीवरी में जटिलताएं रही हैं, तो उन्हें खुद को थोड़ा समय देना चाहिए। हमेशा सबसे पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। फिटनेस से पहले खुद की रिकवरी पर ध्यान देना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
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2. नए तरीके से ब्रीदिंग और कोर से दोबारा जुड़ना
पहले कहा जाता था कि रोजाना 100 कीगल (kegels) करने चाहिए लेकिन अब पोस्टपार्टम रिहैब में ब्रीदिंग के जरिए पूरे शरीर (core system) को एक्टिवेट किया जाता है। इससे पेल्विक फ्लोर को प्राकृतिक तरीके से सपोर्ट मिलता है।
इसे रोजाना जरूर करें:
- डायफ्रोमेटिक ब्रीदिंग (Diaphragmatic breathing): नाक से धीरे-धीरे सांस लें और पेट में हवा भरने दें। फिर मुंह से सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पेट के निचले भाग को अंदर की ओर लें। साथ ही पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को भी हल्के से ऊपर खींचे।
- जब भी आप कोई काम करती हैं, तब इसे मुंह से सांस छोड़ें। जैसे खड़े होना, बेबी को उठाना या बिस्तर से उठना। इससे आपका पेल्विक फ्लोर और कोर दोनों रिकवर होते हैं।
इस तरह की ब्रीदिंग ज्यादा बेहतर तरीके से काम करती है क्योंकि इससे आपका डायफ्रॉम से लेकर एब्स और पेल्विक फ्लोर पूरा कोर सिस्टम दोबारा से ट्रेन होता है।
3. धीरे-धीरे फंक्शनल मूवमेंट्स की शुरूआत करें
जब आप कोर और ब्रीदिंग एक्सरसाइज से जुड़ जाएं, तो आप हल्की-फुल्की कसरत करना भी शुरू करें, जैसे कोई चीज उठाना और झुकना इत्यादि
आप ये कसरत करने की कोशिश कर सकती हैं:
- ग्लूट्स ब्रिज (पीठ के बल लेटकर हिप्स उठाना)
- दीवार के सपोर्ट से स्कवैट्स करना
- बर्ड-डॉग पोज (हाथों और घुटनों के बल रहकर विपरती हाथ और पैर को उठाना)
- शिशु के साथ या अकेले धीरे-धीरे वॉक करना
- हिप्स, छाती और गर्दन को स्ट्रेच करना
शुरुआत में ये कसरत दिन में 5-10 मिनट करें और फिर इस समय को बढ़ाते जाएं। यह याद रखें कि ज्यादा कसरत करने पर जोर देने की बजाय नियमित करने पर ध्यान दें।
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4. इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें
अपने शरीर में हो रहे बदलावों पर ध्यान दें। अगर ये दिक्कतें महसूस हो रही हो, तो डॉक्टर या पेल्विक हेल्थ थेरेपिस्ट से मिलें और सलाह लें।
- ब्लीडिंग दोबारा शुरू होना या बढ़ जाना
- पेट के बीच में उभार आना
- पेल्विक एरिया में प्रेशर या भारीपन महसूस होना
- बहुत तेज दर्द महसूस होना
ये कुछ ऐसे लक्षण हैं, जो बताते हैं कि अभी आपके शरीर को और समय चाहिए और अपने पेल्विक फ्लोर फिजिकल थेरेपिस्ट से मदद ले सकती हैं, जो आपकी इंटरनल रिकवरी में मदद कर सकते हैं।
5. खुद को बदलने की बजाय रिकवरी पर ध्यान दें
शुरुआती पोस्टपार्टम एक्सरसाइज करने का मतलब है कि खुद की रिकवरी और दोबारा अपने शरीर से जुड़ना और उसे मजबूत करना। कसरत करते समय खुद को शेप में लाने का प्रेशर न डालें। आपने एक शिशु को जन्म दिया है, तो खुद को थोड़ा समय दें, गहरी सांस लें और खुद को अंदर से मजबूत बनाएं।
आपको दोबारा से नहीं शुरू करना है, बल्कि आपको ज्यादा समझदारी और ताकत के साथ नई शुरुआत करनी है।